सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच रिव्यू पिटिशन पर करेगी सुनवाई

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सुप्रीम कोर्ट: छावला रेप और मर्डर केस में बरी किए गए आरोपियों के खिलाफ दाखिल रिव्यू पिटिशन पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की बेंच के गठन की सहमति दे दी है। दिल्ली के छावला इलाके में 19 साल की लड़की की रेप के बाद हत्या कर दी गई थी। इस मामले में तीन लोगों को फांसी की सजा दी गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने तीनों को बरी कर दिया था, जिसके बाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच के सामने दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बुधवार को यह मामला उठाया और कहा कि तीनों दोषियों के खिलाफ ओपन कोर्ट में रिव्यू पिटिशन की सुनवाई होनी चाहिए। तीनों आरोपी अपराधी हैं। इन तीनों में से एक को पिछले महीने एक ऑटो ड्राइवर की हत्या के मामले में फिर से गिरफ्तार किया गया है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच का गठन करेंगे, जिनमें वह खुद होंगे और साथ में जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी होंगीं और रिव्यू पिटिशन की सुनवाई की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मामले में दाखिल रिव्यू पिटिशन पर ओपन कोर्ट में सुनवाई होनी चाहिए। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि तीन जजों की बेंच के गठन के बाद तीन जजों की बेंच इस बारे में फैसला लेगी। मामले में बुधवार को नया आवेदन दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल किया गया था। इसमें कोर्ट को बताया गया था था कि बरी किए गए आरोपियो में एक विनोद को मर्डर के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उस पर आरोप है कि उसने ऑटो ड्राइवर को लूटने की कोशिश की और विरोध करने पर मर्डर कर दिया। 26 जनवरी 2023 को द्वारका नॉर्थ थाने की पुलिस ने केस दर्ज कर विनोद को गिरफ्तार कर लिया।

क्या है मामला
घटना 9 फरवरी 2012 की है। द्वारका के छावला इलाके से एक 19 साल की लड़की को कार में अगवा कर उसके साथ बर्बर रेप के बाद उसकी हत्या की खबर ने सनसनी फैला दी थी। ट्रायल कोर्ट ने मामले में गति के साथ सुनवाई करते हुए 2014 में अपना फैसला सुनाया। आरोपियों को अपराधी मानते हुए मौत की सजा सुनाई, जिसे हाई कोर्ट ने भी उसी साल पुष्ट कर दिया। इसके बाद तीनों आरोपियों ने सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, जिसने इसी साल 7 नवंबर को अपना फैसला सुनाया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने केस की जांच में तमाम तरह की खामियों का जिक्र करते हुए तीनों आरोपियों को संदेह का लाभ दिया और उन्हें बरी करने का फैसला सुनाया था। इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस और विक्टिम के पैरंट्स की ओर से रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई है। पुलिस को इसके लिए दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना से मंजूरी भी मिल गई थी।

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