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चीन ने सोलोमन द्वीप के साथ किया विवादास्पद ‘सुरक्षा समझौता’, चिंता में पड़े अमेरिका और ऑस्‍ट्रेलिया

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मेलबोर्न। चीन ने दुनियाभर से हो रही आलोचनाओं को धता बताते हुए दक्षिणी प्रशांत महासागर में सैन्‍य दबदबा कायम करने के लिहाज से कदम बढ़ाए है। चीन ने प्रशांत महासागर के छोटे से द्वीप सोलोमन के साथ विवादास्‍पद सुरक्षा समझौते पर हस्‍ताक्षर किया है। ऐसा पहली बार है जब चीनी सेना पीएलए ऑस्‍ट्रेलिया की सीमा से मात्र 2 हजार किमी दूर पहुंचने जा रही है।
ऑस्‍ट्रेलिया और पश्चिमी देशों को आशंका है कि चीन सोलोमन द्वीप पर सैन्‍य अड्डा बना सकता है। इससे पहले चीन ने अफ्रीका के जिबूती में सैन्‍य अड्डा बनाकर दुनिया को अपनी ताकत का अहसास कराया था। चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्‍ता ने कहा दोनों देशों ने एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किया है। इससे दो दिन पहले एक अमेरिकी दल सोलोमन द्वीप पहुंचा था ताकि सोलोमन द्वीप की चीन समर्थक सरकार को चेतावनी दी जा सके। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता ने कहा क‍िोौ इस समझौते का उद्देश्‍य सामाजिक स्थिरता और सोलोमन द्वीप पर लंबे समय तक शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना है।
चीन ने कहा कि यह समझौता सोलोमन द्वीप और दक्षिण प्रशांत क्षेत्र के साझा हित की दिशा में ही है। चीन ने इस समझौते की शर्तों के बारे में खुलासा नहीं किया है लेकिन सोलोमन द्वीप की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस समझौते 31 मार्च को हुआ है और इसे बाद में पुष्टि की जाएगी। ऑस्‍ट्रेलिया व अमेरिका को डर है चीन पूरे प्रशांत महासागर में सैन्‍य अड्डे बनाने का प्रयास करेगा।
इन दोनों ही देशों ने सोलोमन द्वीप के प्रधानमंत्री मानस्‍सेह सोगावरे से अपील की थी कि वह इस समझौते को रद्द कर दें। सोलोमन द्वीप के पीएम मानस्‍सेह सोगावरे ने उनकी बात मानने की बजाय अमेरिका की आलोचना को ही ‘अपमानजनक’ करार दिया है। चीन ने दावा किया है कि यह समझौता सार्वजनिक, पारदर्शी और समन्वय पर आधारित है। यह किसी तीसरे देश को लक्ष्‍य करके नहीं किया गया है। वहीं अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि यह चीन के लिए प्रशांत महासागर में आक्रामकता दिखाने के लिए रास्‍ते खोल देगा। लिबरल पार्टी के सांसद माइकल सुक्‍कार ने कहा कि इस समझौते का ‘महत्‍वपूर्ण असर’ होगा।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता नेड प्राइस ने कहा कि यह डील क्षेत्र को ‘अस्थिर’ करेगी। उन्‍होंने कहा कि सोलोमन द्वीप की सरकार के वादे के बावजूद सुरक्षा समझौते का विस्‍तृत मसौदा चीन की सेना के तैनाती के दरवाजे खोलता है। अमेरिका ने चीन के दांव को फेल करने के लिए 29 साल बाद अपने दूतावास को फिर से खोल दिया है।

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