पुणे में शुरू हुआ दूसरे फेज में ह्यूमन ट्रायल , एक बिलियन खुराक बनाने के लिए हुआ है समझौता
पुणे 26 अगस्त बुधवार। कोरोना संकट के इस भीषण दौर में जानलेवा वायरस के संक्रमण से डरी – सहमी दुनिया अब इससे उबरने और इसके साथ जीने के तरीकों की तलाश में भी लग गई है। संक्रमण से बचने – बचाने की दुनिया भर में चल रही कोशिशों के बीच वैक्सीन ईजाद करने में भी कई देश लगे हुए हैं। इन्ही कोशिशों के बीच एक बड़ी और अच्छी खबर भारत के लोगों के लिए भी आई है। कोरोना के भय के बीच जिंदगी गुजार रहे लोगों के लिए राहत भरी खबर यह है कि भारत मे कोविशील्ड नाम की वैक्सीन के ट्रायल का दूसरा चरण बुधवार से शुरू हो गया है। दूसरे चरण में इस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल किया जा रहा है।
सीरम इंस्टिट्यूट में हो रही तैयार
गौरतलब है कि रशिया और चाइना ने कोरोना की वैक्सीन तैयार कर लेने का दावा पहले ही कर दिया है तो भारत,ब्रिटेन,अमेरिका और जर्मनी समेत कई देश भी अलग – अलग तरह की वैक्सीन बनाने के अभियान में लगातार लगे हुए हैं। भारत मे ईजाद की जा रही वैक्सीन में से एक वैक्सीन कोविशील्ड के नाम से ऑक्सफ़ोर्ड और एस्ट्राजेनेका के सहयोग से भारत के सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया में तैयार की जा रही है।

पांच वालेंटियर्स को दी गई डोज
भारत में कोविशील्ड (AZD1222) के नाम से लांच किए जाने के लिए तैयार की जा रही इस वैक्सीन का बुधवार को पुणे में दूसरे चरण का ह्यूमन ट्रायल शुरू किया गया। इसके लिए वालेंटियर्स चिन्हित किये गए हैं जिन्हें डॉक्टर्स की निगरानी में वैक्सीन का डोज दिया जा रहा है। खबरों में बताया गया कि अभी 5 लोगों को वैक्सीन का डोज दिया गया है। अगर ट्रायल के परिणाम अच्छे आये तो और लोगों पर भी ट्रायल किया जाएगा,यह संख्या 3 से साढ़े 3 सौ तक हो सकती है।
जिन पर हुआ ट्रायल वे दो महीने रहेंगे निगरानी में
पुणे स्थित भारती विद्यापीठ के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. संजय लालवानी के मुताबिक ट्रायल के लिए जिन पांच व्यक्तियों को चुना गया है, उन लोगों की स्क्रीनिंग करने के बाद आरटी-पीसीआर जांच और एंटीबॉडी परीक्षण भी किए गए। उन्हें उम्मीद है कि वैक्सीन के ट्रायल का सकारात्मक परिणाम रहेगा। महाराष्ट्र के मंत्री डॉ. विश्वजीत कदम ने बताया कि पुणे के भारती अस्तपाल में पांच लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी गई है। सभी वॉलेंटियर्स अगले दो महीने तक चिकित्सकीय निगरानी में रहेंगे।
एक बिलियन खुराक के उत्पादन पर समझौता
बताया जाता है कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने देश में वैक्सीन की एक बिलियन खुराक का उत्पादन करने के लिए ब्रिटिश-स्वीडिश दवा फर्म एस्ट्राजेनेका के साथ समझौता किया है। मेडिकल जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक हुए ट्रायल में यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और असरदार साबित हुई है।
ड्रग कंट्रोलर जनरल ने दी है ह्यूमन ट्रायल की इजाजत ,ब्रिटेन में साबित हुआ असरदार
वैक्सीन को लेकर ब्रिटेन की ओर से किए गए पहले और दूसरे फेज के ट्रायल में असरदार साबित होने के बाद भारत में भी इसके दूसरे और तीसरे फेज के ह्यूमन ट्रायल की अनुमति मिली है। शीर्ष दवा नियामक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने बीते तीन अगस्त को ही देश में ह्यूमन ट्रायल के लिए सीरम इंडिया को इजाजत दे दी है।
सभी ट्रायल सफल होने के बाद ही उत्पादन
पहले कहा जा रहा था कि 73 दिन बाद ही यह वैक्सीन बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। लेकिन बाद में कंपनी ने स्पष्ट कर दिया कि यह पुष्ट सूचना नहीं है। सीरम इंस्टिट्यूट ने कहा है कि कंपनी को सरकार से वैक्सीन के उत्पादन की अनुमति मिली है। कंपनी ने कहा है कि वैक्सीन बाजार में तभी आएगी, जब ट्रायल सफल हों और नियामक एजेंसी से मान्यता मिल जाए।
इस साल के अंत तक हो सकती है उपलब्ध
इस वैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल नवंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। अगर ट्रायल के नतीजे अच्छे रहे और वैक्सीन के किसी भी तरह के साइड इफेक्ट सामने नहीं आए तो वैक्सीन को आसानी से रेगुलेटरी अप्रूवल मिल जाएगा और फिर टीकाकरण के लिए वैक्सीन उपलब्ध होगी। उम्मीद जताई जा रही है कि साल के अंत तक यह वैक्सीन भारतीय बाजार में उपलब्ध हो जाएगी।