नवीन संसद भवन में प्रतिष्ठित हों श्रीराम की चरण पादुकाएं,सनातन संस्कृति में सत्ता हस्तांतरण का इससे बड़ा कोई और प्रतीक नहीं

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मैहर विधायक नारायण ने लिखा पीएम मोदी को पत्र

सतना। देश की राजधानी दिल्ली में बनकर तैयार हुए नवीन संसद में सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सेंगोल की स्थापना के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने यहां श्रीराम चरण पादुका(खड़ाऊं) प्रतिष्ठित किए जाने की मांग की है।

मैहर विधायक नारायण ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर कहा है कि सेंगोल स्वागतयोग्य है किंतु सनातन धर्म और संस्कृति में श्रीराम पादुका से बड़ा सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक कोई और नहीं है। नारायण ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नवीन संसद भवन 28 मई को उद्घाटित होने वाला है। यहां ब्रिटिश एवं भारत सरकार के मध्य सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक स्वरूप 2600 वर्ष पूर्व के चोल राजवंश के राजदंड ‘सेंगोल’ की स्थापना भी स्वागतयोग्य है। भारतीय सनातन धर्म एवं संस्कृति से लेकर भारतीय संविधान की स्थापना तक 7500 वर्षो से समूचा भारत रामराज्य की स्थापना के किये प्रतिबद्ध एवं संकल्पित है। महात्मा गांधी, डॉ भीमराव अंबेडकर और पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटलबिहारी वाजपेयी ने भी रामराज्य की स्थापना का सपना देखा था।
विंध्य क्षेत्र की तपोभूमि चित्रकूट में भगवान श्रीराम ने गुरुजनों की आज्ञा से अपने अनुज एवं अयोध्या के राजा भरत को अपनी पादुकाएं( खड़ाऊं) दी थी और भरत ने उन्हें सिंहासन पर रख कर राज्य चलाया था। नारायण ने कहा कि भगवान श्रीराम की चरण पादुकाएं सत्ता हस्तातंरण का सनातन धर्म मे सबसे बड़ा प्रतीक हैं। रामराज्य में सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक रहीं श्रीराम पादुकाएं भारत की सत्ता के केंद्र में स्थापित किया जाना न केवल समय की मांग है बल्कि उन विकृत मानसिकता के नेताओं को सबक सिखाने के लिए भी आवश्यक है जिन्होंने खड़ाऊं सत्ता को नकरात्मक और कहीं और से संचालित मान रखा है। नारायण ने पीएम मोदी से नवीन संसद भवन में श्रीराम की पादुकाओं( खड़ाऊं) को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक स्वरूप स्थापित किए जाने का आग्रह दोहराते हुए पत्र में कहा है कि यदि ऐसा संभव हो सके तो यह पारदर्शी,समदर्शी,निष्पक्ष रामराज्य की सनातनधर्मी विचारधारा का वास्तविक सम्मान भी होगा।

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