सितंबर के अंत तक होंगी यूजी – पीजी के छात्रों की फाइनल ईयर की परीक्षाएं
सतना 8 जुलाई। कोरोना वायरस चलते लगातार उच्च शिक्षा की परीक्षाओं में होती लेटलतीफी के बीच और प्रदेश के छात्रों की मांग के बाद सूबे की शिवराज सरकार ने जहां जनरल प्रमोशन देने का फैसला किया था, वही यूजीसी ने मध्य प्रदेश के फैसले को झटका दे दिया है। कम से कम यूजीसी की नई गाइडलाइन के अनुसार ग्रेजुएशन एवं पोस्ट ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर के विद्यार्थियों को परीक्षा देनी ही पड़ेगी। इसके लिए विश्वविद्यालय या कॉलेज ऑनलाइन या ऑफलाइन अपनी सहूलियत के अनुसार परीक्षा कंडक्ट कराएंगे।
यूजीसी की नई गाइडलाइन के बाद प्रदेश विद्यार्थियों को बड़ा झटका लग सकता है। गृहमंत्रालय की सहमति और यूजीसी की नई गाइडलाइन से यह तय हो गया है कि फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स की परीक्षा आयोजित की जाएगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई गाइडलाइन जारी कर दी है। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी सोमवार को सेक्रेटरी हायर एजुकेशन को पत्र लिखकर कॉलेज, यूनिवर्सिटी की फाइनल ईयर की परीक्षाएं आयोजित करने के लिए सहमति दे दी है।
सितंबर में होंगे एग्जाम
नई गाइडलाइन के मुताबिक ग्रेजुएशन-पोस्ट ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर की परीक्षाएं अब रद्द नहीं होंगी। बल्कि सितंबर 2020 के अंत तक यूनिवर्सिटी और संस्थान फाइनल ईयर की परीक्षा करा सकेंगे। इन परीक्षाओं को ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन करा सकते हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सोमवार को विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, डीम्ड यूनिवर्सिटी और अन्य शिक्षण संस्थानों में विभिन्न पाठ्यक्रमों की अंतिम वर्ष या सेमेस्टर परीक्षाओं के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इस नए दिशानिर्देश के तहत यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को फाइनल ईयर की परीक्षा कराना अनिवार्य कर दिया गया है।।
तो नहीं मिलेगा जनरल प्रमोशन!
छात्रों की मांगों को देखते हुए मध्य प्रदेश के विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रमोट करने के लिए जनरल प्रमोशन देने का फैसला राज्यपाल ने किया था। लेकिन भारत का विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी ने नई गाइडलाइन जारी कर राज्यपाल के उस फैसले जिसमें फाइनल ईयर के विद्यार्थियों को जनरल प्रमोशन मिलता उस पर अब विराम लगता दिख रहा है।
यूजीसी तय करता है तमाम मापदंड
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(UGC) केन्द्र सरकार का एक उपक्रम है जो सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को अनुदान प्रदान करता है। इसे विश्वविद्यालय शिक्षा के मापदंडों के समन्वय, निर्धारण और अनुरक्षण के लिए सन 1956 में संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया। यही आयोग विश्वविद्यालयों को मान्यता भी देता है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है और साथ में छः क्षेत्रीय कार्यालय हैं। जोकि पुणे, भोपाल, कोलकाता, हैदराबाद, गुवाहाटी एवं बंगलुरु में हैं। विश्वविद्यालयी शिक्षा को प्रोन्नत एवं उसका समन्वयन करना। विश्वविद्यालयों में अध्यापन, परीक्षाओं एवं अनुसंधान के मानकों को निर्धारित एवं अनुरक्षित करना। शिक्षा के न्यूनतम मानकों पर विनियम तैयार करना। विश्वविद्यालयी/महाविद्यालयी शिक्षा के क्षेत्रों में विकास का पर्यवेक्षण करना तथा विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों के अनुदानों का संवितरण करना जैसे प्रमुख कार्यों के लिये यूजीसी का गठन किया था।